Ratlam:जिला चिकित्‍सालय में ग्‍लूकोमा (काला मोतिया) की सर्जरी की गई

  
Last Updated:  नवम्बर 24, 2023 " 06:28 अपराह्न"

रतलाम। ग्लूकोमा अर्थात काला मोतिया के ऑपरेशन के लिए रतलाम के लोगों को अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि अब यह सुविधा जिला चिकित्सालय रतलाम में नि:शुल्क उपलब्ध हो गई है । रतलाम के जिला चिकित्‍सालय में पहले नेत्र रोगों के उपचार के लिए मोतियाबिंद की नि:शुल्‍क ऑपरेशन की सुविधा उपलब्‍ध थी किंतु अब मोतियाबिंद के अलावा ग्‍लूकोमा अर्थात नेत्र रोग में काला मोतिया के ऑपरेशन की नि:शुल्‍क सर्जरी की सेवा प्रारंभ कर दी गई है।

जिले के सिविल सर्जन वरिष्‍ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एम.एस. सागर ने बताया कि भूलीबाई पति नागूजी उम्र 50 वर्ष निवासी ग्राम बनबाना ब्‍लॉक नागदा जिला उज्‍जैन लंबे समय से नेत्र रोग से पीडित थी किंतु अपना उपचार नहीं करवा पा रही थी। उन्‍होंने जिला चिकित्‍सालय में अपनी ऑखों का परीक्षण कराया तो उन्‍हें ग्‍लूकोमा बताया गया। जिला चिकित्‍सालय के नेत्र रोग विभाग में डॉक्टर एम.एस. सागर और टीम द्वारा उनका ग्‍लूकोमा का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। डॉ. एमएस सागर एवं डॉ. एस. एस. गुप्‍ता ने बताया कि ग्‍लूकोमा कि ग्‍लूकोमा आंखों का रोग है जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी छीन लेता है। यह अंधत्‍व का तीसरा कारण है।

इसके लक्षण धुंधली दृष्टि, तेज रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुषी रंग के गोले नजर आना है। परिधिय दृष्टि का समाप्‍त हो जाना, लालिमा अचानक दृष्टि का जाना, दृष्टि में धीरे-धीरे कमी आना मुख्‍य है। ग्‍लूकोमा सामान्‍यत: उन लोगों को होता है जिनको मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) हो, ग्‍लूकोमा का पारिवारिक इतिहास हो, आंखों की चोंट हो, लंबे सेमय तक एस्‍टीरॉयड दवाओं का उपयोग किया हो, हाई बीपी, डायविटीज से पीडित हों। ग्‍लूकोमा का उपचार एंटी ग्‍लूकोमा आइ ड्राप, लेजर उपचार तथा ग्‍लूकोमा माईक्रोसर्जरी के द्वारा संभव है।

उल्‍लेखनीय है कि ग्‍लूकोमा के कारण देखने की क्षमता समाप्‍त होने पर उसे वापस नहीं लाया जा सकता, नेत्र दाब नियंत्रण में रखें अपने उपचार का सतर्कता से पालन करें, सर्जरी व दवा चलने के बाद भी नियमित रूप से नेत्र की जॉच कराते रहें। ज्ञात हो वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. सागर स्वयं बहुत अच्छे नेत्र सर्जन है जो अभी तक लगभग 60 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन कर चुके हैं तथा सैकड़ो ग्लूकोमा के ऑपरेशन कर चुके हैं। इसके बाद अब मरीजों को बड़े शहरों के लिए इस बीमारी के लिए नही जाना पड़ेगा।

chief editor Uttam Sharma. mk choudhari
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